संवाददाता देहरादून,
उतराखंड क्रांति दल के निवर्तमान युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा है कि सरकार को यूसीसी कानून को वापस लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी को यूसीसी के खिलाफ गुरुकुल नारसन से नीति मलारी गांव तक पदयात्रा शुरू की जायेगी।
यहां परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के मूल निवासियों ने जिस प्रकार से राज्य निर्माण के लिए अपने संघर्षो से एवं 42 से अधिक शहादतों के पश्चात उतराखंड राज्य का निर्माण किया, राज्य के सुख, समृद्धि, संपन्नता के सपनें देखे थे, वह लडाई सिर्फ राज्य निर्माण के लिए नहीं थी अपितु अपनी संस्कृति, अपने सामाजिक, भौगोलिक ताने बाने को जोड़े रखने के लिए एक संघर्ष था।
उन्होंने कहा कि लेकिन आज जिस प्रकार से राज्य सरकार यूसीसी जैसे काले कानून को थोपकर राज्य के मूल निवासियों के मूल निवास की लडाई को खत्म करना चाहती है, और इसके साथ ही लिव इन रिलेशनशिप जैसे पाश्चात्य संस्कृति को वैध ठहरा कर यहाँ के युवाओं को नैतिक पतन की ओर लेकर जा रही है, यह राज्य के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मूल निवास और भू कानून के लिये चल रहे जन-आंदोलन के बीच मुख्यमन्त्री ने गत माह को प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू कर दिया, इससे पहले भी राज्य स्थापना दिवस नौ नवम्बर 2024 को मुख्यमंत्री ने यह कानून प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन उस समय उक्रांद की मूल निवास 1950 एवं सशक्त भू कानून के लिए आयोजित ताण्डव रैली और उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय त्रिवेन्द्र सिंह पंवार के द्वारा इस कानून के खिलाफ 48 घण्टे के उपवास के बाद मुख्यमंत्री ने इस काले कानून को लागू करने से अपने हाथ पीछे खींच लिये थे।
इस अवसर पर दल के केंद्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उपाध्याय ने कहा कि यूसीसी को मुख्यमंत्री अपनी उपलब्धि बता रहे हैं, जबकि इस कानून की खामियों के चलते देश के किसी भी राज्य की सरकार ने इस कानून को लागू करने की अभी तक हामी नहीं भरी है और वाजिब सवाल यह भी है कि अगर वाकई यह सभी धर्म के नागरिकों को समान अधिकार देने वाला कानून है,तो इसे सिर्फ उत्तराखण्ड पर ही लागू क्यों किया गया है और पूरे देश की जनता पर क्यों नहीं लागू किया।