Saturday, July 12, 2025
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देश के मोस्ट फायर प्रॉन जिलों में उत्तराखंड के 6 जिले चिन्हित

देश में मोस्ट फायर प्रॉन जिलों की सूची तैयारकरी गई है ।जिसमे उत्तराखंड के 6 जिलों को भी चिन्हित किया गया। दरअसल, एनडीएमए (National disaster management authority) ने प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर ऐसे जिलों के लिए बजटीय रूपरेखा तैयार की है, ताकि इनमें फॉरेस्ट फायर की दिक्कतों को आगामी वर्षों में कम किया जा सके।

उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलो को चिन्हित किया गया है । उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर सीजन के दौरान जंगलों के जलने के मामले खूब सुर्खियों में रहते हैं। आंकड़ों के रूप में भी देखें तो उत्तराखंड जंगलों की आग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर टॉप राज्यों में बना रहता है। यही कारण है कि जब ऐसे मोस्ट फायर प्रॉन जिलों की सूची बननी तय हुई तो उत्तराखंड के 6 जिले इसमें चिन्हित कर लिए गए।

देश में कुल 19 राज्यों के 144 जिलों को मोस्ट फायर प्रॉन जिलों में शामिल किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश के 23 जिले, छत्तीसगढ़ के 13, उड़ीसा के 17, महाराष्ट्र के 12, कर्नाटक के 3, मिजोरम के 7, असम के 4, मणिपुर के 10, तेलंगाना के 7, नागालैंड के 11, झारखंड के 6, आंध्र प्रदेश के 3, केरल के 5, अरुणाचल प्रदेश के 4, मेघालय के 4, तमिलनाडु, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के 3 -3 जिलों को शामिल किया गया है।

फॉरेस्ट फायर समाधान के लिए योजना: इस तरह पूरे देश में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा कुल 534.50 करोड़ रुपए फॉरेस्ट फायर के लिए राज्यों को दिया जाएगा। जबकि राज्यों को कुल 53.45 करोड़ रुपए ही इस योजना में लगाने होंगे. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा फॉरेस्ट फायर के समाधान को लेकर तैयार की गई इस योजना के लिए 90% एनडीएमए दे रहा है और बाकी 10% राज्य को खर्च करना है।

उत्तराखंड के स्तर पर देखें तो प्रदेश के 6 जिलों को मोस्ट फायर प्रॉन जिलों के रूप में चिन्हित किया गया है। जिसमें टिहरी, पौड़ी, देहरादून, अल्मोड़ा चंपावत और नैनीताल जिले शामिल है। उत्तराखंड को इसके लिए 16.73 करोड़ रुपए खर्च करने हैं, जिसमें से 15.21 करोड़ रुपए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की तरफ से राज्य को दिए जाएंगे, जबकि बाकी 1.52 करोड़ रुपए राज्य को खर्च करने होंगे।

उत्तराखंड ने इसके तहत नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को विभिन्न कार्यों को लेकर जो प्रस्ताव दिया है। इसमें इस बजट से ड्रोन खरीदने, चीड़ पीरूल एकत्रीकरण, इससे जुड़े इक्विपमेंट खरीदने, कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर्स खरीदने और वायरलेस जैसे जरूरी उपकरणों को खरीदे जाने का प्रयास किया जाएगा।

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