मसूरी: पहाड़ों की रानी कहे जाने वाली मसूरी में इस बार गर्मी सिर्फ तापमान की नहीं, व्यापारियों की नाराजगी की भी है। शनिवार को जब पर्यटक सैर-सपाटे की उम्मीद लेकर कुठाल गेट पहुँचे, तो पुलिस ने उन्हें वहीँ रोक दिया। नतीजा पर्यटक मायूस, और स्थानीय व्यापारी गुस्से में।
पर्यटकों को कुठाल गेट से लौटाए जाने की खबर आग की तरह फैली। मसूरी के होटल मालिक, रेस्टोरेंट संचालक, दुकानदार, सबने प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए।
व्यापार मंडल अध्यक्ष रजत अग्रवाल और महामंत्री जगजीत कुकरेजा ने साफ शब्दों में कहा मसूरी की रोटी पर्यटन से चलती है, और आप उसी रोटी पर कैंची चला रहे हैं।
व्यापारियों का तर्क है कि पहले ही कोविड और हाल ही में भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसे हालात से पर्यटक डरकर नहीं आ रहे, और जब सीजन थोड़ा चलने लगा तो प्रशासन ने फिर ब्रेक लगा दी।
राजपुर थाना इंचार्ज षैंकी कुमार का कहना है कि यह रोक स्थायी नहीं थी सिर्फ कुछ भारी वाहनों को ट्रैफिक दबाव के कारण कुछ समय के लिए रोका गया।
उनका कहना है कि चारधाम यात्रा की वजह से ट्रैफिक का दबाव बहुत ज़्यादा है और सुरक्षा कारणों से वाहनों को विकासनगर रूट की ओर भेजा गया।
व्यापारी पूछ रहे हैं अगर ये ट्रैफिक मैनेजमेंट है तो क्या ये सीजन शुरू होने से पहले प्लान नहीं किया जा सकता था? क्या प्रशासन को नहीं पता कि मई-जून में मसूरी में भीड़ बढ़ती है? क्या टूरिस्टों को रोकना ही एकमात्र उपाय है?
बिना होटल बुकिंग के आने वाले टेम्पो ट्रैवलर पर्यटकों को खासतौर पर लौटाया गया। ये वही लोग होते हैं जो अक्सर स्थानीय टैक्सी, रिक्शा, गाइड, होटल्स और स्ट्रीट वेंडर्स की रोज़ी-रोटी का ज़रिया बनते हैं। अब उन्हें ही सबसे ज़्यादा नुकसान हो रहा है।
कुल मिलाकर जब पर्यटन अर्थव्यवस्था की रीढ़ हो और रीढ़ पर ही बोझ डाल दिया जाए, तो सवाल उठते हैं। क्या ट्रैफिक कंट्रोल का हल सिर्फ रोक-टोक है? या फिर ये इस बात का सबूत है कि योजना बनाने की बजाय हालात से भागने की कोशिश हो रही है?