Sunday, June 22, 2025
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राज्यीय में एक ऐसा मेडिकल कॉलेज है, जहां पढ़ाई से ज़्यादा चर्चा कल भवन निर्माण की

राजधानी देहरादून में एक मेडिकल कॉलेज है जहां पढ़ाई से ज़्यादा चर्चा आज कल भवन निर्माण की हो रही है। जहां ओटी (ऑपरेशन थिएटर) में ऑपरेशन से पहले ठेके और टेंडर की सर्जरी होती है। जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर की दीवारों पर सीलन है और सीलन के पीछे करोड़ों की कहानी।
लेकिन इस बार मामला सिर्फ सीलन का नहीं, ईमान की भीगती हुई छत का है। क्योंकि एक विधायक जी ने एक नहीं पूरे 18 बिंदुओं की चिट्ठी में विभागीय भ्रष्टाचार, तकनीकी खामियों और ठेकेदारों की घालमेल पर उंगली उठाई, और फिर 22 दिन बाद वही उंगली घुमा कर कहने लगे ‘सब ठीक है, सिस्टम स्मूथली चल रहा है।’
बता दे कि बीते 25 मई 2925 को विधायक महंत दलीप रावत ने ये पूरा खेल उजागर किया, साक्ष्यों समेत। लेकिन 16 जून आते-आते वही विधायक मुख्यमंत्री को दूसरा पत्र लिखते हैं। ओटी और ओपीडी सुचारु रूप से चल रहे हैं। कार्यदायी संस्था ने गुणवत्ता पूर्ण कार्य किया है। पहले जो शिकायतें थीं, वे कुछ व्यक्तियों की ग़लत जानकारी पर आधारित थीं। अब सवाल यह नहीं कि भवन चल रहा है या नहीं बल्कि

सवाल यह है कि क्या ईमानदारी भी कहीं निर्माणाधीन है?
विधायक जी को 18 बिंदुओं पर शिकायत का होश कैसे आया और फिर कैसे भूल गए?
क्या ठेकेदार का सीसीटीवी कैमरा तो नहीं लगा था विधायक की सोच पर? मुख्यमंत्री कार्यालय ने शिकायत की जांच क्यों नहीं शुरू की? विभाग और धर्मराज कंपनी के बीच हुए भुगतान रिकॉर्ड सार्वजनिक क्यों नहीं किए जाते? क्या ‘लाखों ज़िंदगियों के साथ खिलवाड़’ बस एक लिखित लाइन थी? कुल मिलाकर जब बिल्डिंग की नींव से आवाज़ आती है, तब दीवारें चुप नहीं रहतीं। दून मेडिकल कॉलेज का ओटी अब सिर्फ मरीजों का इलाज नहीं करता वहाँ लोकतंत्र की नब्ज भी जांची जाती है। और आजकल नब्ज़ में ईमानदारी का परिधीय ऑक्सीजन संतृप्ति कुछ कम नज़र आ रहा है।

‘ऑपरेशन धांधली’ बिंदुवार

  • ओटी/ इमर्जेंसी बिल्डिंग में सीसीटीवी की ग़लत फिटिंग बीओक्यु के हिसाब से लगना था 10x ज़ूम, फेस डिटेक्शन कैमरा, लगाया गया सस्ता बुलेट कैमरा।
  • मॉड्युलर ओटी में इम्पोर्टेड के नाम पर लोकल माल 100 ओटी बनवाए गए 78 लाख रुपये प्रति ओटी की दर से, जबकि लगवाया गया 32 लाख रुपये में बना लोकल सिस्टम।
  • मेडिकल गैस पाइप पेमेंट इम्पोर्टेड का, सामान देसी का
  • सीएसएसडी सिस्टम: भुगतान 4 करोड़ रुपये, लागत सिर्फ 1.35 करोड़ रुपये का माल
  • लांड्री सिस्टम का 20 प्रतिशत काम, पर 95 प्रतिशत पेमेंट हो चुका
  • सब स्टेशन में आरएमयू पैनल लगा, पेमेंट वीसीबी पैनल का
  • एचवीएसी में वीसीडी की जगह ‘अदृश्य वायु’ कागज़ पर है, साइट पर नहीं। पैसे फिर भी पूरे।
  • ओटी में फायर डैम्पर नहीं अर्थात आग लगने पर ईश्वर भरोसे आईसीयूआई
  • वेंटिलेशन गायब, क्रिटिकल पेशेंट्स परेशान डीपीआर में था, असल में सिर्फ हवा-हवाई।
  • फिक्स्चर की आधी सप्लाई, पूरे भवन का पेमेंट
  • नर्स कॉल सिस्टम – यूएल सूचीबद्ध का पैसा, लोकल बेल
  • एचवीएसी सिस्टम में लोकल पार्ट्स, घटिया इंसुलेशन, और एक कूलिंग टावर का ‘अदृश्य जादू’
    तीन के पैसे, दो टावर।
  • एमआईसीसी केबल की जगह ₹235/मीटर वाली डाली, ₹2600/मीटर पेमेंट मिला
  • अकादमिक ब्लॉक में फर्जी बिल, फायर फाइटिंग सिस्टम ‘डमी शोपीस’
  • कैमरा घोटाला स्पॉटलाइट में धर्मराज कांट्रैक्ट्स इंडिया प्रा. लि. नाम तो ‘धर्मराज’, पर अंदाज ‘बेशर्म राज’ वाला।

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